बुधवार, 24 अगस्त 2016

सहस्त्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महाविद्या मन्त्र

सहस्त्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महाविद्या मन्त्र
विनियोग : ॐ अस्य श्री सर्व महाविद्या महारात्रि गोपनीय मन्त्र रहस्याति मयी पराशक्ति श्री मदाद्या भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्त्राक्षरी सहस्त्र रूपाणि महाविद्या श्री इन्द्र ऋषि गायत्र्यादी नानाछन्दांसि , नव कोटि शक्ति रूपा श्री मदाद्य भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता श्री मदाद्य सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टर्थ जपे पाठे विनियोगः /

मन्त्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह सौ श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौ; सौ;ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी,जगदाद्ये , विजये ,सुरा सुर त्रिभुवन निदाने , दयां करे सर्व देव तेजो रूपिणी विरंचि संस्थिते , विधि वरदे , सच्चिदानन्दे , विष्णु देह आवृते , महामोहिनी , नित्य वरदान तत्परे महा सुधाब्धि बासिनि , महातेजो धारिणी सर्वाधारे , सर्व कारण कारिणे , अचिन्त्य रुपे , इन्द्रादि सकल निर्जर सेविते , साम गान गायन परिपुणोदय कारिणी विजये  , जयन्ती अपराजिते , सर्व सुन्दरी , रकतांशुके ,सूर्य कोटि सकांशे , चंद्र कोटि सुशीतले  , अग्नि कोटि दहन शीले , याम कोटि वहन  शीले , ॐकार  नाद  विन्दु रूपिणी , निगमागम भागदायिनी , त्रिदश राज्य दायिनी , सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी , दिव्य देहिनी , निर्गुणे सगुणे , सद  सद  रूप धारिणी , सुर वरदे , भक्त त्राण तत्परे , बहु बरदे , सहस्त्राक्षरे , अयुताक्षरे  सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी , अनेक लक्ष लक्ष स्वरुपे अनन्त कोटि ब्रह्मांड नायिके चतुविशंति मुनि जन संस्थिते , चतुर्दश भुवन भाव विकारिने गगन वाहिनी , नाना मन्त्र राज विराजिते सकल सुन्दरी गण सेविते , चरणारबिंद्र , महात्रिपुर सुन्दरि , कामेशदयिते करुणा रस कल्लोलिनी , कल्प वृक्षादि स्थिते ,चिन्तामणि दव्य मध्यावस्थिते , मणि मन्दिरे निवासिनी , विष्णु वक्ष स्थल कारिणे , अजिते , अमले , अनुपम चरिते , मुक्ति क्षेत्राधष्ठायिनी प्रसीद प्रसीद , सर्व मनोरथान पूरय पूरय , सर्वारिष्टान छेदय छेदय सर्व ग्रह  पीड़ा ज्वराग्र भय विध्वंसय विध्वंसय , सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय , मोक्ष मार्गणी दर्शय दर्शय ज्ञान मार्ग प्रकाशय प्रकाशय , अज्ञान तमो नाशय नाशय , धन धान्यादि वृद्धि कुरु कुरु , सर्व कल्याणनि कल्पय कल्पय मां रक्ष रक्ष , सर्वायदभ्यो निस्तारय निस्तारय , वज्र शरीरं साधय साधय ह्री सहस्त्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महा विद्यायै नमः /