गुरुवार, 3 नवंबर 2022

mantra sadhana ke niyam

 

मंत्र साधना के नियम :-

  • तन की शुद्धि के लिए स्नान आवश्यक है | स्नान से शरीर को शीतलता प्राप्त होती | जिसका मन पर भी प्रभाव पड़ता है | पूजा-आराधना,साधना आदि पुण्य कार्य आरम्भ करने से पूर्व स्नान अवश्य करें | यदि शरीर में किसी प्रकार की विवशता हो तो हाथ मुंह धोकर या गीले कपड़े से पूरे शरीर को पौंछ्कर भी साधना आरंभ की जा सकती है | शरीर पर एक अधोवस्त्र तथा दूसरा उपवस्त्र धारण करें | शरद ऋतू में गरम वस्त्र का उपयोग किया जा सकता है |
  • साधना के लिए एकांत स्थान का चयन करना चाहिए |
  • बैठने के लिए आसन का विशेष ध्यान रखना चाहिए | साधना में पालथी मारकर बैठे और मेरुदंड को सीधा रखे |
  • कुशासन, रेशमी आसन, ऊनी , म्रगचर्म अथवा व्याघ्र चर्म आदि में से साधना के अनुकूल आसन का प्रयोग करें |
  • प्रातः काल पूर्व की ओर तथा सांयकाल पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करना चाहिए | कुछ विशिष्ट साधनाओं में साधनानुसार दिशा का विचार किया जाना चाहिए | ब्रह्म मुहूर्त में साधना उत्तम मानी गयी है |
  • साधना सदैव एक निश्चित स्थान पर करनी चाहिए | स्थान शुद्ध एवं स्वच्छ हो | स्थान में बदलाव न करें |
  • माला जप करते समय सुमेरु का उलंघन नहीं करना चाहिए अर्थात जप करते समय सुमेरु तक पहुंचे फिर वहाँ से माला को उल्टा कर देना चाहिए |
  • 108 मानकों वाली जप माला का उपयोग करना उत्तम होता है |
  • मंत्र जप के समय माला को गोमुखी में रखना चाहिए |
  • जप करते समय झूमना, पैर हिलाना आदि वर्जित माना जाता है |
  • जप करते समय मन को निर्मल एवं निष्कपट रखें |
  • जप के समय कंठ से ध्वनि होनी चाहिए , होंठ भी हिलने चाहिए किन्तु कंठ ध्वनि ऐसी हो की निकट बैठे व्यक्ति को सुनाई न दे |
  • पूजा से बचे पदार्थों को एकत्रित करके नदी में ले जाकर प्रवाहित करना चाहिए |
  • साधना किसी योग्य गुरु के निर्देशन में ही करनी चाहिए |
  • साधना काल में मल-मूल विसर्जन की विवशता होने पर पुनः हाथ-पैर , मुँह आदि धोकर ही बैठे और एक माला प्रायश्चित की फेरें |
  • प्रातः काल जप करते समय माला नाभि के सामने, दोपहर को ह्रदय के सामने और सांयकाल मस्तक के सामने होनी चाहिए |
  • साधना या मंत्र जप के लिए दीक्षा अवश्य ले |